Dar Par Machalte Hi Lyrics Sharif Parwaz | Ae Waris Jan E Ali Lyrics




मेरा वारिस निराली शान वाला है
निराली शान वाला है
अनोखी आन वाला है
और रसूलल्लाह का मेहबूब है क़ुरान वाला है

दर पे मचलते ही किस्मत बदलते ही
दुनिया गई है संवर
इज़्ज़त बनी अपनी जिस दिन से वारिस की हम पर हुई है नज़र
दर पर मचलते ही किस्मत बदलते ही
दुनिया गई है संवर

जिसको भी होगी वारिस से निस्बत
उसको मिलेगी हर वक़्त राहत

उसकी हुकूमत उसका ज़माना
उसकी हुकूमत उसका ज़माना
खुलदे बरीँ है उसका ठिकाना

वो मुस्कुरायेगा आराम पायेगा हर रोज़ शामों सहर

दर पर मचलते ही किस्मत बदलते ही
दुनिया गई है संवर
इज़्ज़त बनी अपनी जूस दिन से वारिस की हम पे हुई है नज़र

वारिस पिया से अखियाँ मिली हैँ
शम्मे अक़िदत दिल मे जली है
टालेंगे दर से मैं ना टलूंगा
कदमों मे उनके मिट्टी मलूँगा
कदमों मे उनके मिट्टी मलूँगा

उनकी मोहब्बत का शौक ए ज़ियारत का
उनकी मोहब्बत का शौक ए ज़ियारत का
ऐसा हुआ है असर
उनकी मोहब्बत का शौक ए ज़ियारत का
उनकी मोहब्बत का शौक ए ज़ियारत का
ऐसा हुआ है असर

दर पर मचलते ही किस्मत बदलते ही
दुनिया गई है संवर

इज़्ज़त बनी अपनी जिस दिन से वारिस की हम पर हुई है नज़र

दर पर मचलते ही

वारिस पिया तक जिसकी रसाई
वारिस पिया तक जिसकी रसाई
उसका खुदा है उसकी खुदाई

प्यारे नबी का सदक़ा मिलेगा
प्यारे नबी का सदक़ा मिलेगा
उसका यक़ीनन दामन भरेगा

दौलत मे भर लेंगे
दौलत मे भर लेंगे हम आज अपना ये घर

दर पर मचलते ही किस्मत बदलते ही
दुनिया गई है संवर

इज़्ज़त बनी अपनी जिस दिन से वारिस की हम पर हुई है नज़र

दर पर मचलते ही

वारिस पिया से अखियाँ मिली हैँ
शम्मे अक़िदत दिल मे जली है
टालेंगे दर से मैं ना टलूंगा
कदमों मे उनके मिट्टी मलूँगा
कदमों मे उनके मिट्टी मलूँगा

दर पर मचलते ही किस्मत बदलते ही
दुनिया गई है संवर

इज़्ज़त बनी अपनी जिस दिन से वारिस की हम पर हुई है नज़र

दर पर मचलते ही

वारिस पिया का दामन ना छूटे
प्रीत की डोरी हरगुज़ ना टूटे

प्रीत की डोरी हरगिज़ ना टूटे
प्रीत की डोरी हरगिज़ ना टूटे 

वारिस पिया का दामन ना छूटे
प्रीत की डोरी हरगिज़ ना टूटे
" नाजिश " हमारा कहना यही है
" नाजिश " हमारा कहना यही है
" परवाज़ " सच्चा गहना यही है

उनकी नगरिया मा नूरी अटरिया मा
उनकी नगरिया मा नूरी अटरिया मा
रहूँगा मे देखो उम्र भर...
दर पर मचलते ही किस्मत बदलते ही
दुनिया गई है संवर

दर पर मचलते ही किस्मत बदलते ही
दुनिया गई है संवर

इज़्ज़त बनी अपनी जिस दिन से वारिस की हम पर हुई है नज़र

दर पर मचलते ही...


यह क़व्वाली सुपर केसेट्स इंडस्ट्रीज़ की पेशकश है
इसे शरीफ परवाज़ साहब की आवाज़ मे पढ़ा गया है
रिलीज़ होने की तारीख : 1 जनवरी 1996
नाजिश साहब के अशआर हैँ 
Hashim Warsi

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